कभी आपने सोंचा सरकार के इतने कड़े कानून और ऑनलाइन पारदर्शिता के बाद भी देश में इतने भ्रष्टाचार कैसे हो रहे हैं ?

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भारत इनता बड़ा देश है की इसे संभालना बहुत मुश्किल है अगर भारत में भ्रष्टाचार न होता तो आज भारत की स्थितिदुनिया की तुलना में कही ज्यादा बहतर होती लेकिन कभी आपने गौर किया है की इतने भ्रष्टाचार वजह क्या हो सकती है और इतने भ्रष्टाचार कैसे हो सकते है जब सब कुछ ऑनलाइन पारदर्शिता से हो रहा है हर एक बजट का बिवरण ऑनलाइन पोर्टल पर मौजूद है फिर भी इतने भ्रष्टाचार कैसे और कौन करता है ये सबसे बड़ा सवाल है ?



इसी मसले पर हमारी एक रिपोर्ट है जो हमने खुद ही अनुभव की हुई है और हमारा अनुभव ये कहता है की : भारत में आज सैकड़ो राजनीतिक पार्टियाँ हैं जिनके वजह से ही भ्रष्टाचार व्याप्त है देशमें; क्यूँकि किसी भी राजनीतिक पार्टी या संगठन को चलने के लिए पैसो की जरूरत होतीहै तो फिर इन राजनितिक पार्टियों को चलाने के लिए पैसा कहाँ से आता है ये कभी  सोंचा है आपने ?? इन राजनितिक पार्टियों  के पास कोई सरकारी फण्ड भी नहीं होता है और होना भी नहीं चाहिए ; इनके पास किसी तरह का कोई मेम्बरशिप प्लान भी नहीं होता है जिससे ये अपना करोडो का खर्च निकाल सके इनका अपना कोई बिज़नस भी नहीं होता है जिससे इनकी पैसों की सभी जरूरते पूरी हो सके तो फिर से वाही सवाल इन पार्टियों के ठाट-बाट और हाव-भाव को मेंटेन करने के लिए, और इलेक्शन लड़ने के लिए , रैलियां करने के लिए पैसा आता कहाँ से है ??

चलिए जानते है इस सवाल काजवाब : इनको पैसा डोनेशन के तौर पे देते हैं बड़े-बड़े उद्योगपति , छोटे-मोटेकारोबारी , पार्टी के अमीर उद्योगपति लीडर्स और ऐसे नेता जिन्होंने सरकारी योजनाओ में घोटाले करके पैसे कमाए हो

अब सवाल आता है: ये लोग जो इतनी मेहनत से पैसे कमाए  होते हैं वो इन पार्टियों और नेताओ को  चंदे के तौर पे पैसे क्यों दे देते है ??

तो इसका जवाब है : क्युकी इन लोगो को पता होता है की अगर पैसे नहीं देंगे और उस पार्टी  की सरकार बन जाती है तो हमारा बिज़नेस कर पाना काफी मुश्किल होगा |  इस वजह से ये लोग न चाहते हुए भी राजनीतिक पार्टियों को चंदा देते रहते है |

एक बिज़नस मैन के ऊपर इतना बोझ होता है की आंकड़ा लगाना मुश्किल है | एक बिजनेसमैन को देश की जीडीपी से लेकर NGO , org, पार्टियों को चंदा , वर्कर्स को सैलरी , कंपनी के अनुअल फंक्शन , बिज़नस कम्प्तेर्स से मुकाबला , और न जाने क्या क्या मैनेज करना पड़ता है फिर भी वो मुश्कुरता रहता है | क्युकी उसे पता है ये लोग जिन्हें मैं  पैसे दे रहा हूँ वो आज भी कुछ नहीं है और कल भी कुछ नहीं होंगे मेरे सामने और फिर ये लोग मेरे ही पास आयेंगे पैसे मांगने |

एक बिज़नस मैन इलेक्शन में इलेक्शन लड़ने के लिए पछ और बिपच्छ दोनों ही पार्टियों को चंदा देता है तो इस वजह से सरकार किसी भी पार्टी की हो बिज़नस पर कोई असर नहीं होता है और वो बिजनेसमैनसिर्फ कुछ ही दिनों में अपने खर्च किये हुए पैसो को कमा लेता है और उसकी किसीपार्टी और सरकार से दुश्मनी भी नहीं होती है |

अब सवाल आता है की वो इतने पैसे कमाता कैसे है : तो इतने पैसे ऐसे कमाता है प्रोडक्ट की क्वालिटी में तथा अन्य चीजो में कमी की जाती है जिससे किसी प्रोडक्ट की लागत में कमी आती है और उसका सेल रेट उतना ही रहता है जिससे वो कुछ दिनों में ज्यादा पैसे कमा लेता है अगर किसी कारन वस बिज़नस में कोई लोस हो जाता है या कंपनी पर लोन बढ़ जाता है तो पहले पार्टी को चंदे देने की वजह से सरकार लोन को माफ़ भी कर देती है या फिर उसको लोन चुकाने में थोड़ी रियायत दे देती है

शायद  इसका उदहारण ये लोग हो सकते है : विजय माल्या , Idea कंपनी , नीरव मोदी , मुकेश अम्बानी के भाईअनिल अम्बानी , और ऐसे बहुत से लोग है जिनका कर्ज माफ़ कर दिया गया या फिर उन्हेंलोन चुकाने में रियायत दी गयी | लेकिन एक किसान और आम नागरिक जो किसी पार्टी को कोई चंदा नहीं दता है उसके घर खेत और सबकुछ कुछ ही दिनों में लोन न चूका पाने की स्थिति  में नीलम कर दिए जाते हैं | उन्हें कोई रियायत नहीं दी जाती है | हाँ उनको भी रियायत मिलती है लेकिन इलेक्शन के टाइम पर पार्टियों के द्वारा ये घोषणा की जाती की वो उन्हें अपना वोट दे अगर उनकी सरकार बनती है तो उनके लोन माफ़ कर दिए जाएंगे और सरकार बनने पर ऐसा किया भी जाता है |

फिर आते है चुनाव में नजर आने वाले नेता बड़ी-बड़ी घोषणाये करने वाले नेता सरकार पर आरोप लगाते  है की सरकार को देश के 50 परिवार मिलकर चला रहे है और सरकार उन्ही के इसारे पर सारे नियम , निति , कानून बना रही है | हो सकता होये बात सही हो मैं इसकी पुष्टि नहीं करता हूँ लेकिन ये सवाल जरूर है मेरा उनसे की उनकी पार्टी को रैली करने के लिए , पार्टी को चलने के लिए , और उनके परिवार की लाइफ स्टाइल को मेन्टेन करने के लिए , और देश में इतने सारे इलेक्शन लड़ने का खर्च कहाँ से लाते  हैं ??

क्या उनकी पार्टी का कोई मेम्बरशिप प्लान है , क्या पार्टी का कोई पार्ट टाइम बिज़नस है , क्या पार्टी चलाने के लिए पार्टी को पार्टी के लीडर्स पैसे देते हैं अगर हाँ तो उनके पास इतने पैसे कहाँ से आते है ?? ऐसे बहुत से सवाल है मेरे जहेन में जिनका जवाब मिलना सायद मुश्किल है |

हमारे देश की  मीडिया गले फाड़ के अल्पसंख्यक की बात करती है , पाकिस्तान की सारी कमी दिखा देगी ; चीन कब कैसे कितने सैनिको के साथ परेड कर रहाहै उसपर दिनभर बहेश करेगी | लेकिन इस तरह के कभी भी कोई भ्रष्टाचार बिरोधी शो ऑर्गनाइजनहीं करेगी सिर्फ फालतू के टॉपिक्स पर चार पार्टियों के चिरकुट लीडर्स को बुलाकर सवाल करेंगी बड़े नेताओ से इनकी हिम्मत नहीं है सवाल करने की अगर हिम्मत करके सवाल कर ले मीडिया तो शायद देश से भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाये

लेकिन ये trp वाली मीडिया है इसे सिर्फ अपने बिज़नस से मतलब है फिर यही मीडिया देशभक्ति की बात करती है. खैर इतना बड़ा देश है भ्रष्टाचार भी होगा और कानून का राज भी लेकिन कब पता नहीं | जो लोग ईश्वर और जनता को साक्षी मानकर जनता और देश की सेवा की सपथ लेते हैं वही आगे चलकर बड़े बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार करते हैं. और आज के युवा नेता तो भ्रष्टाचार करने के लिये नयी नयी पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं; भ्रष्टाचार में अपना कैरीअर तलाश रहे हैं....|| इसी लिए भारत देश महान है ||

                                                                             Blog by :     PD Ratnesh  

 

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