Yadein series by Ratnesh'PDR'



मैं यादों कि उस कश्ती में सवार था ,

जिसकी किस्मत में लिखा था,

दरिया के बीचो बीच में डूब जाना,

फिर मैं तुमसे सवाल क्या करता ... ??


सुना है बड़ी रोशनी है तुम्हारे शहर में

ज्यादा बाहर घूमना मत 

वरना वाकिफ हो जाओगे

दुनिया की चकाचौंध से।


हाथों की लकीरे भी रत्नेश ,
ज़ुल्म बेहिसाब करतीं हैं ,
ये उन्हीं के हाथों में होती है ,
जिन्हें उनकी कद्र नहीं होती ।।



हम तो बस यूं ही ,
उनकी आंखों में आंखें डालकर ,
बातें नहीं करते रत्नेश ,
वो समझते हैं कि ,
मेरे दिल में कोई दगा़ है ।।



किसी ने उपहार में रत्नेश,
मुझे किताबें भेंट की ,
मैंने उसका ये एहसान उतारा ,
उन पूरी किताबों को पढ़कर।।


बेखौफ रहता हूं अपने घर में
तेरी यादों के साथ
एक तेरी यादों के सिवा
साथ मेरे कोई भी नहीं
किस हद तक मैं दर्द सहूं
तेरे साथ गुजारी यादों का
इस दर्द की कोई आखिरी हद तो होगी ही। 



बहुत खामोश कर देती हैं,
अपनों की यादें कभी कभी,
जब कोई याद तो रहे ,
लेकिन नजरों में गिरकर।।



कुछ ऐसे भी लोगों से,
मुलाका़त हुई ज़िन्दगी में,
जो ज़ुबां से मेरे और,
दिल से किसी और के थे,
ख़ुदा ने बड़ी मेहनत से,
उनके मुंह में शक्कर गोली थी।।


By :- Ratnesh'PDR'

ratneshyadav74081@gmail.com


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